उत्तराखंड STF ने साइबर ठगी के इंटरनेशनल गैंग का पर्दाफाश, तीन विदेशी दबोचे

देहरादून। उत्तराखंड एसटीएफ की साइबर क्राइम टीम ने करोड़ों की साइबर ठगी करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। टीम ने पंजाब के मोहाली से घाना और अन्य अफ्रीकी देशों के तीन नागरिकों—हेनरी जेरी, नाकिगोजी फीजा और एलिजाबेथ—को गिरफ्तार किया है। तीनों सोशल मीडिया के जरिए लोगों को झांसा देकर बड़े पैमाने पर ठगी कर रहे थे। उनके खिलाफ बीएनएसएस की धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है।

एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने बताया कि यह कार्रवाई जुलाई में दर्ज एक मामले की जांच के बाद की गई। शिकायत देहरादून निवासी रिटायर्ड कर्नल सुरजीत सिंह ने की थी। उन्होंने साइबर थाने में तहरीर देकर बताया कि फेसबुक पर सारा वाल्टर नाम की महिला से उनकी जान-पहचान हुई, जिसने खुद को यूक्रेन की निवासी और ब्रिटेन के ब्रिस्टल रॉयल इंफर्मरी अस्पताल की नर्स बताया। बातचीत के बाद उसे और उसके साथियों ने कर्नल को दुर्लभ हर्बल बीजों के व्यापार का झांसा दिया।

ठगों ने दावा किया कि ये बीज कैंसर, अवसाद और गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होते हैं। बीजों की कीमत 81 हजार रुपये (लगभग 1,000 डॉलर) प्रति पैकेट बताई गई और कहा गया कि इन्हें एबाट फार्मास्यूटिकल कंपनी को 2,000 डॉलर प्रति पैकेट की दर से बेचा जाएगा। पहले ही ऑर्डर में 100 पैकेट मांगे गए। आरोपियों ने भुगतान अरुणाचल प्रदेश निवासी सोनम थापा नामक कथित किसान के बैंक खाते में कराने को कहा।

कर्नल सुरजीत सिंह ने 12 से 14 जून और फिर 14 से 29 जून 2025 के बीच अलग-अलग खातों में कुल 85 लाख रुपये ट्रांसफर किए। भुगतान के बाद उन्हें न तो बीज मिले और न ही कंपनी से कोई संपर्क हुआ। जब उन्होंने जांच की तो पाया कि सोनम थापा और कंपनी का पूरा लेन-देन फर्जी था।

शिकायत दर्ज होने के बाद एसटीएफ ने साइबर तकनीकी जांच और बैंक ट्रांजेक्शन ट्रैकिंग के आधार पर गिरोह का पता लगाया। इसके बाद टीम ने मोहाली से तीनों विदेशी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि गिरोह का नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है और इसके कई और पीड़ित सामने आ सकते हैं।

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