एनडीए परेड में महिला शक्ति की गूंज: 17 कैडेट्स ने रचा इतिहास

पुणे स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी की पासिंग आउट परेड इस बार ऐतिहासिक बन गई. पहली बार ऐसा हुआ जब एनडीए की परेड में 17 महिला कैडेट्स ने कदम से कदम मिलाकर पुरुष कैडेट्स के साथ मार्च किया. ये वो महिलाएं हैं जिन्होंने साल 2022 में एनडीए में दाखिला लिया था. सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक आदेश के बाद महिलाओं के लिए पहली बार एनडीए के दरवाज़े खुले थे.

तीन साल की कड़ी ट्रेनिंग पूरी कर इन महिला कैडेट्स ने इस परेड में जब भाग लिया, तो हर आंखें उनके जज़्बे और मेहनत की गवाह बन गईं. 300 से ज्यादा पुरुष कैडेट्स के बीच इन महिलाओं ने पूरे अनुशासन और गर्व के साथ परेड की.

परेड में कैडेट श्रुति दक्ष ने आर्ट्स स्ट्रीम में टॉप किया. वह हंटर स्क्वाड्रन की हिस्सा रहीं, जो कि उनके पिता की भी यूनिट रही है. श्रुति ने बताया कि एनडीए की ट्रेनिंग शारीरिक और मानसिक तौर पर चुनौतीपूर्ण रही. लेकिन समय के साथ वह इस माहौल में ढल गईं.

वहीं साइंस स्ट्रीम में कैडेट लकी कुमार अव्वल रहे. उन्होंने बताया कि एनडीए में उन्हें तैराकी, हॉकी और घुड़सवारी जैसी गतिविधियों में भाग लेने का मौका मिला. हॉकी टीम के कप्तान रहते हुए उन्होंने ट्रॉफी भी अपने नाम की. कंप्यूटर साइंस स्ट्रीम में बटालियन कैडेट कैप्टन प्रिंस कुमार सिंह कुशवाहा और बी.टेक स्ट्रीम में कैडेट कप्तान उदयवीर सिंह ने टॉप किया.

प्रिंस कुशवाहा का कहना था कि एनडीए ने उन्हें नेतृत्व, अनुशासन और समर्पण का असली मतलब सिखाया. उन्होंने कहा कि महिलाओं की एनडीए में भागीदारी से यहां का माहौल पूरी तरह बदल गया है. पहले जहां यह संस्थान पुरुष प्रधान माना जाता था. अब वह बराबरी का प्रतीक बन चुका है।

148वें कोर्स की यह पासिंग आउट परेड मिजोरम के राज्यपाल और पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल डॉ. विजय कुमार सिंह की मौजूदगी में हुई. परेड के बाद सभी कैडेट्स को उनकी संबंधित सेवा शाखाओं की अकादमियों में भेजा जाएगा. सेना के लिए देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकादमी. नौसेना के लिए एझिमाला की इंडियन नेवल अकादमी. और वायुसेना के लिए दंडीगल की एयरफोर्स अकादमी में अगली ट्रेनिंग दी जाएगी।

2022 से अब तक एनडीए में 126 महिला कैडेट्स ने दाखिला लिया है. जिनमें से पांच ने ट्रेनिंग बीच में ही छोड़ी. एनडीए प्रशासन का कहना है कि उनकी ट्रेनिंग अधिकतर जेंडर न्यूट्रल होती है. हालांकि कुछ शारीरिक अभ्यास ऐसे हैं जिन्हें महिला कैडेट्स की जरूरतों को देखते हुए थोड़ा बदला गया है.

यह परेड सिर्फ सैन्य प्रशिक्षण की समाप्ति का प्रतीक नहीं थी. बल्कि भारत में सेना में लैंगिक समानता की एक नई शुरुआत भी साबित हुई

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