

उत्तराखंड में बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लुएंजा) को लेकर वन विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है. राज्य में इस वायरस के फैलने की आशंका को देखते हुए खासतौर पर जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क सहित सभी वन क्षेत्रों में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है.
बर्ड फ्लू एक संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करती है, लेकिन कुछ मामलों में यह इंसानों और जानवरों में भी फैल सकती है, जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है.
कॉर्बेट नेशनल पार्क, जो देश के सबसे प्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व्स में से एक है, वहां विशेष रूप से अलर्ट जारी किया गया है. पार्क में स्थित रेस्क्यू सेंटर में इस वक्त कई मांसाहारी जानवर जैसे बाघ, तेंदुआ, भालू आदि की देखरेख की जा रही है. इन जानवरों की सुरक्षा को देखते हुए पार्क प्रशासन ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं. कॉर्बेट पार्क के निदेशक की ओर से स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि कोई भी कर्मचारी या पशु चिकित्सक मांसाहारी जानवरों के पास बिना सीपीसी (पर्सनल प्रोटेक्टिव किट) पहने नहीं जाएगा. इसके अलावा जानवरों को परोसा जाने वाला मांस अच्छी तरह उबालकर ही दिया जाएगा, ताकि संक्रमण का कोई खतरा न रहे.
इस रेस्क्यू सेंटर में ऐसे जानवर भी रखे गए हैं जिन्हें घायल अवस्था में जंगल से लाया गया है और उनका इलाज चल रहा है. ऐसे में बर्ड फ्लू का खतरा और बढ़ जाता है क्योंकि संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आकर मांसाहारी जानवर भी इस वायरस के वाहक बन सकते हैं. वन अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि रोजाना की निगरानी में कोई ढिलाई न हो और प्रत्येक जानवर की गतिविधि पर बारीकी से नजर रखी जाए.
कॉर्बेट नेशनल पार्क के आसपास कई जलाशय, झीलें और नदी तट स्थित हैं, जहां हर साल सर्दियों में हजारों प्रवासी पक्षी आते हैं. ये प्रवासी पक्षी कई बार बर्ड फ्लू वायरस के कैरियर हो सकते हैं. इसीलिए, इन क्षेत्रों में निगरानी और अधिक बढ़ा दी गई है. वन विभाग ने स्थानीय स्टाफ और ग्राम पंचायतों को भी सतर्क रहने को कहा है और निर्देश दिए हैं कि यदि कोई भी पक्षी मृत अवस्था में मिले या फिर उसमें फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दें, जैसे गर्दन लटकना, पंखों का असंतुलन या आंखों से पानी बहना, तो तत्काल विभागीय मुख्यालय को सूचना दी जाए. इसके बाद उस पूरे क्षेत्र को कवर्ड किया जाएगा और विशेष निगरानी रखी जाएगी.
राज्य के अन्य प्रमुख क्षेत्रों जैसे देहरादून जू, नैनीताल चिड़ियाघर, मसूरी के वन क्षेत्र, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और पौड़ी आदि जिलों में भी प्रशासन को अलर्ट मोड पर रखा गया है. इन इलाकों में जहां-जहां पक्षियों की अधिक आवाजाही है या जहां प्रवासी पक्षियों के आने की संभावना है, वहां विशेष निगरानी टीमों को तैनात किया गया है. इसके अतिरिक्त, स्थानीय पशुपालकों और मुर्गी पालन व्यवसायियों को भी सचेत किया गया है कि वे अपने पक्षियों की नियमित जांच कराएं और किसी भी प्रकार की बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत स्थानीय प्रशासन को सूचित करें.
वन विभाग और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयासों से एक कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है, जहां आम लोग किसी भी आपात स्थिति में संपर्क कर सकते हैं. राज्य सरकार ने कहा है कि अगर किसी क्षेत्र में बर्ड फ्लू की पुष्टि होती है तो वहां तत्काल कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया जाएगा और आवश्यक सभी कदम उठाए जाएंगे.