

उत्तराखंड में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनावों में भाजपा ने ज़बरदस्त जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस को पूरी तरह पस्त कर दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की रणनीति, संगठन की मजबूती और बूथ स्तर तक की तैयारी ने भाजपा को बड़ी बढ़त दिलाई।
प्रदेश में चार जिला पंचायत अध्यक्ष उत्तरकाशी से रमेश चौहान, पिथौरागढ़ से जितेंद्र प्रसाद, उधम सिंह नगर से अजय मौर्या और चंपावत से आनंद सिंह अधिकारी निर्विरोध चुने गए। वहीं 11 ब्लॉक प्रमुख भी भाजपा के प्रत्याशी बिना मुकाबले विजयी हुए।
भाजपा ने जातीय, सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन के साथ प्रत्याशी तय किए, जिससे कांग्रेस अंदर से ही टूट गई। कांग्रेस न केवल हार गई, बल्कि कई जगह तो नामांकन भी नहीं कर पाई।
यह परिणाम केवल एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव की शुरुआती झलक है। मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में भाजपा ने यह साफ कर दिया है कि वह सत्ता के साथ-साथ ज़मीन पर भी पूरी मज़बूती से डटी हुई है।
इसी तरह ब्लॉक प्रमुख पदों पर भी भाजपा का परचम लहराया, जहां चंपावत से अंचला बोरा, काशीपुर से चंद्रप्रभा, सितारगंज से उपकार सिंह, खटीमा से सरिता राणा, भटवाड़ी से ममता पंवार, डुंडा से राजदीप परमार, जाखणीधार से राजेश नौटियाल, चंबा से सुमन सजवाण, विकासनगर से नारायण ठाकुर, पाबौ से लता देवी और ताकुला से मीनाक्षी आर्य निर्विरोध चुनी गईं।
भाजपा की सटीक रणनीति – विपक्ष को मैदान में उतरने का अवसर ही न दिया जाए। स्थानीय समीकरणों को साधते हुए, हर जिले और ब्लॉक में भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार किया गया। भाजपा प्रत्याशियों के चयन में जातीय, भौगोलिक और सामाजिक संतुलन का बारीकी से ध्यान रखा गया, जिससे कांग्रेस अंदर ही अंदर बिखरती चली गई। कांग्रेस पार्टी के भीतर गुटबाज़ी, नेतृत्वहीनता और संगठनात्मक ढील ने स्थिति इतनी खराब कर दी कि धामी की रणनीति के सामने वह पूरी तरह बेबस नज़र आई।