

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में आज पंचायती राज चुनाव में आरक्षण अनियमितताओं को लेकर महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष सरकार ने जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम प्रधान की सीटों का पुराना और नया विवरण पेश किया, जबकि याचिकाकर्ताओं ने आरक्षण प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए विस्तृत जानकारी दी। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार सुबह निर्धारित की गई है।
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सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सीएससी चंद्रशेखर रावत ने सभी पंचायती राज सीटों का ब्योरा कोर्ट के समक्ष रखा। वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शोभित सहारिया ने कहा कि वे नियमों को नहीं, बल्कि ऑफिस मेमोरेंडम को चुनौती दे रहे हैं, क्योंकि आरक्षण में रोटेशन का पालन नहीं हुआ। उन्होंने राज्य की कुल सीटों और उनके आरक्षण का विवरण प्रस्तुत किया। अधिवक्ता अनिल जोशी ने महिला, ओबीसी, एससी, एसटी आदि के लिए आरक्षित सीटों में अनियमितताओं की जानकारी दी।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता योगेश पचौलिया ने तर्क दिया कि सरकार जिस आधार पर चुनाव करा रही है, वह रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण लोग अपनी आपत्तियां दर्ज नहीं कर पा रहे। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से केवल 10 मिनट का समय मांगकर अपनी बात पूरी करने की अनुमति मांगी।
महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अगली सुनवाई शुक्रवार सुबह के लिए निर्धारित की। यह मामला पंचायती राज चुनावों की पारदर्शिता और आरक्षण प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है।