हाईकोर्ट के आदेश से मतदाता सूची पर विवाद, चुनाव पर संकट गहराया

राज्य निर्वाचन आयोग के पास सिर्फ तीन विकल्प

 

नंबर एक- हाई कोर्ट से चुनाव के संबंध में दिशा निर्देश मांगे जाए।

 

नंबर दो- ऐसे व्यक्तियों का निर्वाचन निरस्त कर दिया जाए जिनकी दो जगह नाम है

नंबर 3 – हाई कोर्ट आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए।

जिस तरह से आसमान में बादल गिरे हुए हैं वैसे ही चुनाव आयोग भी पूरी तरह से घिरा हुआ है चुनाव ऐसे में होंगे या नहीं यह भी अभी स्पष्ट नहीं है ।

सरकार और चुनाव आयोग की ओर से प्रत्यक्ष तौर पर दो-दो जगह नाम होने पर उन्हें चुनाव लड़ने की खुली खुली छूट देने के स्पष्टीकरण आदेश के बाद हाईकोर्ट ने इस पर ब्रेक लगाते हुए कानूनी रूप से चुनाव कराने के निर्देश देते हुए जिन प्रत्याशियों के दो जगह नाम है उनके चुनाव लड़ने पर फिलहाल रोक है।

अब ऐसे में चुनाव आयोग असमंजस में है कई ऐसी अभिव्यक्ति है जिनके दो जगह नाम है ऐसे में उन्हें चुनाव लड़ने के लिए चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाए या उनका नामांकन ही रद्द कर दिया जाए हाई कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे प्रत्याशियों का नामांकन भी वेद नहीं माना जा सकता है तो ऐसे में चुनाव प्रक्रिया के दौरान उन्हें चुनाव चिन्ह आवंटन कैसे किया जाएगा इस असमंजस की स्थिति को दूर करने के लिए निर्वाचन आयोग के पसीने छूट रहे हैं।

सरकार की दावों में काम करने की वजह से अब निर्वाचन आयोग बिल्कुल बेचारा बन गया है उसके लिए एक तरफ पहाड़ तो एक तरफ खाई है इस असमंजस की स्थिति को दूर करने के लिए उसके पास सिर्फ तीन विकल्प बचे हुए हैं वह हाई कोर्ट की शरण में जाकर उनसे इस संबंध में दिशा निर्देश मांगेगा और इस संबंध में नैनीताल पंचायत राज अधिकारी को पूरी तैयारी करने के भी निर्देश दिए हैं गौर तलब है कि हाई कोर्ट में रुद्रप्रयाग के शक्ति सिंह बर्थवाल ने जनहित याचिका लगाई थी जिसमें शुक्रवार को महत्वपूर्ण आदेश पारित हुआ था आयु की ओर से इस संबंध में नैनीताल के जिलाधिकारी से भी सलाह मुश्फिरा किया है और यही के जिला पंचायत राज अधिकारी को कानूनी कश्यप में भी लगाया गया है शनिवार को याचिका दाखिल नहीं हो पाई थी संभवत रविवार को इस संबंध में याचिका दाखिल की जाए हाई कोर्ट के इस निर्णय के बाद अब प्रत्याशियों की नजर भी इस पूरे प्रकरण पर हैं जिनमें दो जगह नाम है।

 

 

 

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