

नई दिल्ली | दिल्ली आबकारी नीति कथित घोटाले से संबंधित धनशोधन के एक मामले के आरोपी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को यहां एक अदालत ने जमानत दे दी।
अवकाशकालीन न्यायाधीश नियाय बिंदू ने केजरीवाल और केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दलीलें दो दिनों तक सुनने के बाद देर शाम जमानत संबंधी अपना आदेश पारित किया।
आदेश पारित होने के बाद ईडी ने जमानत को चुनौती देने की दलील देते हुए अदालत से अनुरोध किया कि जमानत बांड पर हस्ताक्षर को 48 घंटे के लिए टाला जा सकता है, लेकिन न्यायाधीश ने ईडी की इस गुहार को ठुकराते हुए आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि जमानत बांड कल ड्यूटी जज के सामने पेश किया जाना है।
अदालत ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता विक्रम चौधरी के उस तर्क पर विचार किया कि ईडी के आरोपों का कोई सबूत नहीं है। चौधरी ने तर्क दिया था कि क्या ईडी एक स्वतंत्र एजेंसी है या कुछ राजनीतिक आकाओं के हाथों में खेल रही है। ईडी अपने सभी निष्कर्ष परिकल्पना के आधार पर निकालती है … यदि वे अभी भी सामग्री एकत्र कर रहे हैं तो यह एक अंतहीन जांच है। वे कहते हैं कि मैं आप का राष्ट्रीय संयोजक हूं और इसलिए मैं पार्टी द्वारा किए गए हर काम के लिए जिम्मेदार हूं। ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दर्शाता हो कि आप को कभी 45 करोड़ रुपये मिले थे। यह सब अटकलों, पूर्वाग्रहों और मान्यताओं के दायरे में है। वे अभी भी गिरफ्तारी और मूल्यांकन कर रहे हैं, लेकिन यह बयान देते रहते हैं कि 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली थी।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रचार में भाग लेने के लिए 10 मई को एक जून तक की अंतिम जमानत दी थी। शीर्ष अदालत ने उन्हें दो जून को जेल प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण करने का भी निर्देश दिया था, जिसका उन्होंने पालन किया था।
