चमोली में हुई शादी में गरीब और अनाथ बच्चों को मुख्य बाराती बनाया गया. बच्चों का स्वागत पहाड़ी वाद्य यंत्रों और संगीत के साथ हुआ

चमोलीः उत्तराखंड के चमोली में हुई अंशुल और मानसी की शादी खूब चर्चाओं में है. शादी में कई बड़ी हस्तियां और दिग्गज नेता भी शामिल हुए. लेकिन शादी की चर्चाएं बाराती बने 40 बच्चों के कारण हो रही है. इसके अलावा भट्ट परिवार ने शादी में आयोजित होती कॉकटेल की प्रथा को समाप्त करने की तरफ कदम भी बढ़ाया. साथ ही युवाओं को नशे से दूर रहने का शानदार संदेश भी दिया.

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी शामिल हुए सादी में

चमोली के कर्णप्रयाग में होटल व्यवसायी रामकृष्ण भट्ट के भतीजे अंशुल भट्ट की शादी 10-11 दिसंबर को आयोजित हुई. शादी की खास बात रही कि शादी में परिवारजनों ने गरीब, अनाथ और असहाय बच्चों को बाराती बनाने का निर्णय लिया. इसके लिए कर्णप्रयाग के अखिल भारतीय सेवा अभियान हॉस्टल के 40 बच्चों को मुख्य बाराती बनाया गया.

बारात कर्णप्रयाग में ही मौजूद वधू पक्ष के विवाह स्थल पर पहुंची, जहां घरातियों ने बच्चों का फूल माला पहनाकर पारंपरिक नृत्य संगीत के साथ स्वागत किया. साथ ही बच्चों को गर्म कपड़े और कई उपहार भी दिए गए.

वहीं, इससे पहले भट्ट परिवार ने मेहंदी कार्यक्रम के दौरान शराब परोसरे की प्रथा को खत्म करने के लिए कदम बढ़ाते हुए कॉकटेल के स्थान पर मॉकटेल को तवज्जो दी. उन्होंने मेहंदी में आए मेहमानों को गर्म दूध, लेमन हनी टी और हॉट चॉकलेट परोसा. शादी समारोह में पहुंचे मेहमानों ने भी पहल की सराहना की.

इस पूरे आयोजन पर रामकृष्ण भट्ट ने बताया कि शादी समारोह में महिलाएं, युवा और बच्चे अधिक संख्या में पहुंचते हैं. जिसमें कॉकटेल का आयोजन होने से लोग शराब के आदि हो रहे हैं. जबकि युवा पीढ़ी नशे की चपेट में आ रही है. सार्वजनिक होते नशे पर अंकुश लगाने के लिए पहल जरूरी है.

ऐसे में उन्होंने और उनके भाई हरिकृष्ण भट्ट, जयकृष्ण भट्ट और रामकृष्ण भट्ट के साथ कॉकटेल नहीं मॉकटेल का आयोजन करने का निर्णय लिया.

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